“एसडीएम [सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट] जून मं आइस अऊ कहिस, इहां ले चले जाय के नोटिस हवय’.”

बाबूलाल आदिवासी अपन गाँव गादरा के मुहटा मं लगे बड़े अकन बरगद रुख डहर आरो करथे – वो जगा जिहां गुड़ी-बइठका होथे – अऊ अब वो जगा आय जिहां एक दिन मं वो मन के भविष्य बदल गीस.

मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व (पीटीआर) अऊ ओकर तीर-तखार के 22 गाँव के हजारों बासिंदा मन ला बांध अऊ नदी-जोड़ो परियोजना बर अपन घर अऊ जमीन छोड़े सेती कहे गे हवय. आखिरी पर्यावरणीय मंजूरी 2017 मेंच मिलगे रहिस अऊ राष्ट्रीय उद्यान मं रुख मन के कटाई सुरू होगे हे. फेर आवत बेदखली के धमकी ह जोर धर ले हवय.

20 बछर ले जियादा बखत ले परे ये योजना के लागत 44,605 करोड़ रूपिया ( फेज-1 ) हवय, जेकर तहत केन अऊ बेतवा नदिया ला 72 कोस (218 किमी) लंबा नहर ले जोड़े जाही.

ये योजना के भारी मीन-मेख निकारे गे हे. वैज्ञानिक हिमांशु ठक्कर जेन ह 35 बछर ले पानी के काम ले जुड़े हवय, कहिथे, ये योजना के कोनो मतलब नइ ये, इहाँ तक के जल विज्ञान ले जुरे कोनो काम के घलो नइ ये. “सबले पहिली,केन मं उपराहा पानी नइ ये. कोनो विश्वसनीय मूल्यांकन धन तथ्य परक अध्ययन नइ होय हे, सिरिफ पहिली ले तय करे बात हवय,” वो ह कहिथे.

ठक्कर साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल (एसएएनडीआरपी) के समन्वयक आय. वो ह नदिया मन ला जोड़े बर जल संसाधन मंत्रालय (अब जल शक्ति) डहर ले 2004 के बखत गठित विशेषज्ञ समिति के सदस्य रहिस. ओकर कहना आय के ये योजना के मूल अधारेच ह अचमित करेइय्या हवय: “नदिया मन ला जोड़े ले जंगल, नदी, जैव विविधता ऊपर बहुत बड़े पर्यावरन  के अऊ समाजिक असर परही अऊ इहाँ के संग-संग बुंदेलखंड अऊ ओकर ले घलो दुरिहा के लोगन मन गरीब हो जाहीं.”

PHOTO • Priti David
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डेरी: पन्ना जिला के गादरा के मुहटा मं बरगद के रुख. इहाँ होवेइय्या बइठका मं इहाँ के लोगन मन ला बताय गीस के नदी जोड़ो योजना सेती वन विभाग डहर ले मुआवजा के जमीन के रूप मं गांव उपर कब्जा करे जावत हे. जउनि: गादरा के बाबूलाल आदिवासी कहिथे वो मन ले चर्चा करे नइ गीस, सिरिफ बेदखली के बारे मं बताय गीस

PHOTO • Priti David
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डेरी: छतरपुर जिला के सुखवाहा गाँव के बासिंदा महासिंह राजभोर पशुपालक आय, जेन ह बांध बने ले डूब जाही. जउनि: गाँव के माईलोगन मं जलावन लकरी संकेल के घर लहुटत हवंय – जेन ह बारे के काम आथे

77 मीटर ऊँच बांध ले 14 ठन गाँव डूबन मं आहीं. येकर ले बघवा मन के माई ठीहा ह घलो डूबान मं आ जाही. महत्तम जंगली जीव-जन्तु के आय जाय के रद्दा खतम हो जाही, अऊ बाबूलाल जइसने आठ दीगर गाँव मन ला सरकार ह वन विभाग ला मुवावजा जमीन के रूप मं सौंप दे हवय.

अब तक ले, कुछु घलो असामान्य नइ होय हे. भारत के गाँव-देहात के लाखों लोगन मन, खास करके आदिवासी मन ला बखत बखत मं चितवा, बघवा , नवीकरणीय बिजली, बांध अऊ कदन सेती उजारे जावत रहे हवय.

प्रोजेक्ट टाइगर के भारी सफलता के 51 बछर होगे हवय – 3,682 बघवा (2022 बाघ जनगणना), जेकर दाम भारत के आदिवासी वनवासी समाज मन ला चुकाय ला परे हवय. कुल मिलाके, ये समाज देश के सबले वंचित लोगन मन ले हवंय.

साल 1973 मं भारत मं नौ बाघ अभ्यारण्य रहिस, आज हमर तीर 53 ठन हवंय. साल 1972 ले अब तक ले हमन जतको घलो बघवा बढ़ाय हवन, ओकर बर हमन औसतन 150  वनवासी मन ला उझारे हवन. ये ह घलो एक ठन बड़े गंभीर कम से कम आंकलन आय.

येकर कोनो अंत नइ ये – 19 जून 2024 मं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) डहर ले जारी एक ठन चिट्ठी मं लाखों अऊ गाँव ला उजार के दूसर जगा बसाय के अपील करे गे हवय – देह भर मं 591 गाँव मन ला सबले पहिली दूसर जगा बसाय जाही.

पन्ना टाइगर रिजर्व (पीटीआर) मं 79 ठन बघवा हवंय अऊ जब बांध के सेती जंगल के माई इलाका डूबान मं आही, त वो मन ला मुआवजा दे ला चाही. बाबूलाल के जमीन अऊ गादरा मं ठीहा बघवा मन बर होय ला चाही.

सीधा सीधा कहे जाय त, वन विभाग ला ‘मुआवजा’ दे जावत हे, न के गाँव ले निकारे लोगन मन ला, जऊन मन सब्बो दिन बर अपन घर ला गंवा देवत हवंय.

PHOTO • Raghunandan Singh Chundawat
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पन्ना टाइगर रिजर्व ला संयुक्त राष्ट्र के बायोस्फीयर रिजर्व नेटवर्क मं सूचीबद्ध करे गे हवय अऊ ये ह कतको नंदावत जावत जीव जन्तु अऊ चिरई-चिरगुन मन के ठीहा आय. बांध अऊ नदी जोड़ो योजना सेती 60 वर्ग किलोमीटर जंगल के माई इलाका डूबान मं पर जाही

PHOTO • Priti David
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डेरी: पन्ना टाइगर रिजर्व के भीतरी कुल 14 ठन गाँव, जिहां किसान अऊ मवेसीपालक रहिथें, जम्मो काल सेती खतम हो जाही. जउनि: पशुपालन महत्तम जीविका आय, अऊ सुखवाहा मं रहेइय्या अधिकतर परिवार मवेसी पाले हवंय

पन्ना रेंज के डेपुटी फारेस्ट आफिसर अंजना तिर्की कहिथे, “हमन ये मं एक पईंत अऊ जंगल लगाबो. हमर काम येला घास के मैदान मं बदले अऊ वन्य जीव के जतन करे आय”, वो ह ये योजना के कृषि-पर्यावरन तंत्र के पच्छ ला लेके बात करे बर तियार नइ रहिस.

वइसे, अपन पहिचान उजागर नइ करे के शर्त मं एक झिन अफसर ह मानथे के वो मन जऊन ला सबले बढ़िया कर सकथें, वो आय 60 वर्ग किलोमीटर के घन अऊ जैव विविधता वाले जंगल के भरपाई सेती सिरिफ रूख लगाय, जेन ह डूबान मं आ जाही. ये तब तय होय हवय, जब यूनेस्को ह पन्ना ला बायोस्फीयर रिजर्व ला वर्ल्ड नेटवर्क मं सामिल करे हवय. प्राकृतिक जंगल ले करीबन 46 लाख रुख (साल 2017 मं वन सलाहकार समिति के बैठक मं बताय के अंदाजा के मुताबिक) ला काटे ले जल विज्ञान ले जुरे काय असर परही, येकर अंदाजा घलो लगाय नइ गे हवय.

बाघवाच ह एकेच बेबस जंगली परानी नो हे. भारत के सिरिफ तीन ठन घड़ियाल (मगरमच्छ) अभयारण्य मन ले एक प्रस्तावित बांध ले कुछेक कोस तरी मं हवय. ये इलाका भारतीत गिधवा मन के महत्तम घोंसला बनाय के जगा घलो आय – जेन ह भारी नंदावत जावत चिरई मन के आईयूसीएन के रेड लिस्ट मं हवय. येकर छोड़ कतको बड़े शाकाहारी अऊ मांसाहारी जानवर हवंय जेन मन अपन ठीहा गंवा दिहीं.

बाबूलाल छोटे किसान आय जेकर करा थोकन खेत हवय जऊन ह अकास भरोसा आय, ये मं खेती करके अपन परिवार के गुजर-बसर करथे. “काबर के जाय के कोनो तारीख बताय नइ गे रहिस, येकरे सेती हमन सोचेन के हमन जोंधरा कमाबो जेकर ले खाय के होय सकय.” जब वो अऊ गाँव के दीगर सीकड़ों लोगन मं खेती के तियारी करत रहिस, त जंगल रेंजर आ गीस. “वो ह हमन ला रुके बर कहिस. वो ह कहिस, ‘गर तुमन नइ मानहू त हमर ट्रेक्टर धरके आबो अऊ तुंहर खेत ला उझार देबो’.”

पारी ला अपन परिया परे खेत ला दिखावत वो ह बड़बड़ावत कहिथे, “न तो वो मन हमन ला मुआवजा दे हवंय जेकर ले हमन इहाँ ले जाय सकन, न वो मन इहाँ रहे अऊ खेती करे के इजाजत देय हवंय. हमन सरकार ले कहत हवन -जब तक हमर गाँव इहाँ हवय, हमन ला खेती करे ला देव... नइ त हमन काय खाबो?”

पुश्तैनी घर के खतम होय घलो एक ठन बड़े झटका आय. स्वामी प्रसाद परोहर ह पारी ला बताइस के ओकर परिवार 300 बछर ले जियादा बखत ले गादरामं रहत हवय. “हमर आमदनी खेती ले रहिस, बछर भर मऊहा, तेंदू जइसने जंगल के जिनिस... अब हमन कहाँ? हमन कहाँ मरबो? हमन कहाँ बूड़बो... कोन जानथे?” 80 बछर के स्वामी प्रसाद परोहर ला संसो हवय के अवेइय्या पीढ़ी मन जंगल ले सब्बो नाता टोर लिहीं.

PHOTO • Priti David
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डेरी: गादरा मं, बाबूलाल आदिवासी अपन खेत दिखावत हवय, जिहां वोला ये सीजन (2024) मं खेती करे के इजाजत नइ देय गीस काबर के बेदखली लकठा रहिस. जउनि: स्वामी प्रसाद परोहर (सबले जउनि), संग मं (डेरी ले जउनि) गाँव के परमलाल, सुदामा प्रसाद, शरद प्रसाद अऊ बीरेंद्र पाठक कहिथें के वो मन ला मालूम नइ ये के सब्बो अऊ आखिरी समझौता कब होही

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नदी जोड़ो योजना सरकार के ‘विकास’ सेती जमीन हड़पे के सबले नवा पहल आय.

अक्टूबर 2023 मं जब केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना (केबीआरएलपी) बर आखिरी मंजूरी मिलीस, त वो बखत के भाजपा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ह येला हाथों हाथ लीस. वो ह येला “बुंदेलखंड के लोगन मन बर सुभाग के दिन” बताइस, जेन मन पिछड़ गे रहिन. वो ह अपन राज के तउन हजारों किसान, चरवाहा, वनवासी अऊ ओकर परिवार मन के कोनो बात नइ करिस, जेन मन येकर ले बांच जाहीं. न त वो ह ये बात ला देखिस के वन मंजूरी ये अधार ले देय गे रहिस के बिजली बनाय के काम पीटीआर के बहिर होही, फेर अब ये ह भीतरी मं हवय.

उपराहा पानी ला कम पानी वाले नदिया मन ले जोड़े के बिचार 1970 के दसक मं सुरु होइस अऊ नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी (एनडब्लूडीए) बनाय गीस. ये ह देस मं नदिया मन के बीच 30 ठन कड़ी के अंदाजा ला लेके काम सुरु करिस – ग्रेंड  गारलेंड’.

केन नदी मध्य भारत के कैमूर डोंगरी मन ले निकरथे अऊ गंगा बेसिन के हिस्सा आय – जेन ह उत्तर प्रदेश के बांदा जिला मं यमुना मं जाके मिलथे. अपन 427 किलोमीटर लंबा जवई मं ये ह पन्ना टाइगर रिजर्व ले होके गुजरथे. पार्क के भीतरी धोड़न गाँव ह बांध के जगा हवय.

केन के बूड़ति मं बेतवा नदी बोहाथे. केबीएलआरपी के मंसूबा केन के ‘उपराहा’ पानी ला वोला ‘कम पानी वाले’ बेतवा नदी मं ऊपर कोती भेजे आय. ये दूनों नदिया ला जोड़े ले बुंदेलखंड के पानी के कमी वाले 343, 000 हेक्टेयर इलाका मं अपासी होय के आस हवय, जेन ह आर्थिक रूप ले पिछड़ा इलाका अऊ वोटबैंक आय. फेर असल मं, वैज्ञानिक मन के कहना आय के ये परियोजना बुंदेलखंड ले पानी ला बुंदेलखंड के बहिर ऊपरी बेतवा बेसिन के इलाका मं भेजे मं मदद मिलही.

PHOTO • Courtesy: SANDRP (Photo by Joanna Van Gruisen)
PHOTO • Bhim Singh Rawat

डेरी: केन के ऊपर डहर करीबन डेढ़ दू कोस (पांच ले छह किमी) के इलाका जऊन ह बाँध के डूबान मं आही. सौजन्य: एसएएनडीआरपी (फोटो: जोआना वैन ग्रुइसन). जउनि: टाइगर रिजर्व के जानवर मन ला छोड़ के, केन तीर के सब्बो मवेसी पालक समाज अपन मवेसी मन बर येकर पानी के भरोसे हवंय

PHOTO • Courtesy: SANDRP and Veditum
PHOTO • Courtesy: SANDRP and Veditum

डेरी: अमानगंज के तीर पांडवन मं अप्रैल 2018 मं केन नदी के बड़े अकन हिस्सा पूरा सूक्खा रहिस अऊ कोनो घलो नदिया भीतरी रेंगत जाय सकत रहिस. जउनि: पवई मं केन मीलों तक सूक्खा हवय

डॉ. नचिकेत केलकर कहिथें के केन मं उपराहा पानी होय के सोच उपर सवाल करे जाय ला चाही. केन मं पहिलीच ले बने बांध - बरियारपुर बैराज, गंगऊ बांध अऊ पवई मं एक ठन – ला अपासी बर देय ला चाहे रहिस. वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट के ये इकोलाजिस्ट ह कहि, “जब मंय कुछु बछर पहिली बांदा अऊ केन के तीर तखार के इलाका मं गेय रहेंव, त मंय अक्सर सुने रहेंव के अपासी सेती पानी नइ ये.”

साल 2017 मं नदिया के पूरा जगा मन ला जवेइय्या एसएएनडीआरपी के शोध करेइय्या मन एक ठन रिपोर्ट मं लिखे हवंय, “...केन मं अब हर जगा बारों महिना पानी नइ बोहावय... बनेच बखत तक ले, नदिया मं धार नइ रहय अऊ पानी नइ रहय.”

केन मं खुदेच अपासी के कमी हवय, येकरे सेती बेतवा ला जेन कुछु घलो मिलही, ओकर ले ओकर अपन पानी भरे के इलाका कम हो जाही. निलेश तिवारी जेन ह अपन सरी जिनगी पन्नाच मं गुजर चुके हवय, वो घलो इहीच बात कहिथे. ओकर कहना आय के बाँध ला लेके लोगन मन भारी बगियाय हवंय काबर के ये ह मध्यप्रदेश के लोगन मन बर हमेसा बर कोनो लाभ के नइ रही जाही, फेर परोसी उत्तर प्रदेश ला येकर ले फायदा होही.

तिवारी कहिथें, “बांध ले लाखों रुख अऊ हजारों जानवर बूड़ जाहीं. लोगन मन [वनवासी] के अपन अजादी चले जाही, वो मन  बेघर हो जाहीं. लोगन मन नराज हवंय, फेर राज सरकार ह ये कोती चेतत नइ ये.”

“कोनो जगा, वो मन (सरकार ह) नेशनल पार्क बनाइस, कोनो जगा ये नदी मं अऊ कहूँ मं येकर उपर बाँध बनाइस... अऊ लोगन मन उझर गीन, बहिर चले गीन ...” जनका बाई कहिथे, जेकर उमरावन के घर ह साल 2015 मं बढ़े पीटीआर के दायरा ह लील गे.

उमरावन (गोंड आदिवासी मन के एक ठन गाँव) के पचास बछर के ये बासिंदा बीते 10 बछर ले उचित मुआवजा बर लड़त हवय. वो ह कहिथे,” सरकार ला हमर भविष्य, हमर लइका मन के भविष्य के चिंता नइ ये. वो हमन ला ठगे हवय.” वो ह ये बात डहर आरो करथे के बघवा मन बर लेय गेय जमीन मं होटल (रिसार्ट) बनाय जाही. “देखव, ये वो जमीन आय जेन मं वो मन हमन ला खदेड़े के बाद सैलानी मन के आय अऊ ठहरे बर सर्वे करे हवंय.”

PHOTO • Priti David
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डेरी: जनका बाई अपन घरवाला कपूर सिंह के संग अपन घर मं. जउनि: उमरावन मं शासकी प्राथमिक शाला (सरकारी प्रायमरी स्कूल), जिहां के गुरूजी मन के कहना आय के लइका मन के हाजिरी भारी गिर गे हे, काबर के इहाँ के लोगन मन ला ये पता नइ ये वो मन ला कब दूसर जगा बसाय जाही

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डेरी: जनका बाई वो जगा मं जिहां वो अऊ उमरावन के दीगर माईलोगन मन अपन गाँव ले बिजली के ट्रांसफार्मर ले जावत सरकारी ट्रैक्टर ला रोक लीन अऊ आगू जाय नइ दीन – बेदखली के खिलाफ विरोध के रूप मं. जउनि: सुरमिला (लाल लुगरा), लीला (बैंगनी लुगरा) अऊ गोनी बाई के संग जनका बाई जेन ह सरकारी आर्डर के बाद घलो उमरावन मं रहत हवय

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दिसंबर 2014 मं केन-बेतवा नदी जोड़ के घोसना सार्वजनिक सुनवाई बखत करे गे रहिस.

वइसे इहाँ के लोगन मन के कहना आय के कोनो सार्वजनिक सुनवाई नइ होइस, सिरिफ बेदखली के नोटिस अऊ जुबानी वादा करे गीस. ये ह भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास अऊ पुनर्स्थापन अधिनियम , 2013 (एलएआरआरए) मं उचित मुआवज़ा अऊ पारदर्शिता के हक ला टोरे आय. ये कानून ह येकर बर जरूरी करथे के : “भूमि अधिग्रहण के मामला मन के घोसना आधिकारिक राजपत्र, इहाँ के अख़बार मन मं, इहाँ के भाखा-बोली मं, येकर ले जुरे सरकारी साइट मन मं करे जाय ला चाही.” एक पईंत अधिसूचना देय के बाद, येकर उद्देश्य बर बलाय गे बइठका ले गाँव के ग्राम सभा (कौंसिल) ला जानकारी देय ला चाही.

सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर बताथे, “सरकार ह अधिनियम मं बताय गे कोनो घलो तरीका ले लोगन मन ला सूचना नइ दीस. हमन कतको पईंत पूछे हवन, हमन ला बतावव के तुमन अधिनियम के कोन धारा के मुताबिक अइसने करत हव.” ये बछर जून मं, वो ह जिला कलेक्टर के दफ्तर मं एक ठन विरोध–प्रदर्सन आयोजित करे रहिस, जेन मं ग्राम सभा के दसखत के सबूत दिखाय के मांग करे गे रहिस. वो मन के उपर लाठीचार्ज करे गे रहिस.

आम आदमी पार्टी के सदस्य भटनागर कहिथे, “पहिली हमन ला ये बता वव के तुमन (सरकार) ग्राम सभा के बइठका काबर करेव, काबर के तुमन अइसने नइ करेव. दूसर बात, ये योजना बर, जइसने के कनून कहिथे, लोगन मन के सहमति होय ला चाही जेन ह वो मन करा नइ ये. अऊ तीसर बात, गर वो मन जावत हवंय, त तुमन वो मन ला कहां बसावत हव? तुमन येकर बारे मं कुछू नइ कहेव, कोनो नोटिस धन जानकारी नइ देव.”

न सिरिफ एलएआरआरए के बात माने गिस, फेर सरकार के अफसर मन सार्वजनिक मंच मं वादा घलो करिन. ढोडन के बासिंदा गुरुदेव मिश्रा कहिथे के हर कोनो ठगाय मसूस करत हवय. “अफसर मन कहिन, ‘हमन तुंहर जमीन के बदला मं जमीन देबो, तुंहर घर के बदला मं पक्का मकान देबो, तुमन ला रोजगार देबो. तुंहर मन के बिदाई दुलौरिन बेटी जइसने होही’.”

वो ह पूर्व सरपंच आय,जेन ह गाँव के बइठका मं पारी ले गोठ-बात करत हवय. वो ह कहिथे, “हमन सिरिफ उहिच पूछत हवन जेन ला सरकार ह वादा करे रहिस, छतरपुर के जिला कलेक्टर, मुख्यमंत्री, केबीआरएलपी परियोजना के अफसर मन जब वो मन इहाँ आय रहिन, त हमन ले काय वादा करे रहिन. फेर वो मन अइसने कुछु घलो नइ करे हवंय.”

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डेरी: बांध विरोधी अमित भटनागर, वो जगा मं जिहां पशुपालक बिहारी यादव ले गोठियावत, जिहां केन नदी मं धोदन मं बांध बनाय जाही. जउनि: नदी जोड़ो परियोजना सेती धोड़न गाँव अऊ ओकर तीर-तखार के इलाका बूड़ जाही

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डेरी: धोड़न गाँव के गुरुदेव मिश्रा पूछत हवंय के प्रशासन मुआवजा अऊ बसाय के अपन वादा ला काबर नइ निभावत हवय. जउनि: कैलाश आदिवासी बांध ले मुस्किल ले 50 मीटर दूरिहा मं रहिथे, फेर ओकर तीर जमीन के मालिकाना हक के कागजात नइ होय सेती वोला मुआवजा नइ देय जावत हे

पीटीआर के उत्ती इलाका मं गढ़ारा मं घलो हालत येकर ले अलग नइ ये. “कलेक्टर [पन्ना के] ह कहिस के हमन तुमन ला वइसनेच बसाबो जइसने तुमन रहेव. ये तुंहर सुविधा के हिसाब ले होही. हमन तुंहर बर ये गाँव ला फिर ले बसाबो,’ अस्सी बछर के सियान परोहर कहिथे. “कुछु नइ करे गे हवय, अऊ अब हमन ला इहाँ ले उझारे जावत हे.”

मुआवजा के रकम घलो साफ नइ ये अऊ कतको आंकड़ा थिर नइ ये- 18 बछर ले जियादा उमर के हरेक मरद लोगन मन बर 12 ले 20 लाख रूपिया तक ले. इहाँ के लोगन मन पूछथें: “काय ये ह हरेक मइनखे के आय धन हरेक परिवार सेती? जिहां माईलोगन ह घर के मुखिया आय, ओकर काय होही? अऊ वो मन जमीन बर अलग ले मुआवजा दिहीं? हमर मवेसी मन के काय होही? हमन ला कुछु घलो सफ्फा सफ्फा बताय नइ गे हे.”

सरकारी काम के पाछू छिपे झूठ अऊ मंसूबा साफ नइ होय सेती, जऊन घलो गाँव मं पारी गीस, उहाँ कोनोच ला पता नइ रहिस के वो मन कब अऊ कहाँ जाहीं, घर, जमीन, मवेसी अऊ रूख मन बर मुआवजा के सही रकम/भाव काय होही. 22 ठन गाँव के लोगन मन अधर मं लटके जिनगी गुजारत हवंय.

धोड़न मं अपन घर के बहिर बइठे कैलाश आदिवासी ह डेर्रावत हवय के बांध के सेती जमीन बूड़ जाही, वो अपन जमीन के मालिकाना हक ला साबित करे बर जुन्ना रसीद मन ला अऊ सरकारी कागजात ला दिखाथे. वो ह कहिथे के “मोर करा पट्टा (जमीन के हक के सरकारी कागजात) नइ ये. फेर मोर करा ये कतको रसीद हवंय. मोर ददा, ओकर ददा, ओकरे ददा... वो सब्बो तीर ये जमीन रहिस. मोर करा सब्बो रसीद मन हवंय.”

वन अधिकार अधिनियम 2006 के मुताबिक, आदिवासी धन जंगल मं रहेइय्या जनजाति मन ला “वन भूमि ऊपर कोनो स्थानीय प्राधिकरण धन कोनो राज सरकार डहर ले जारी करेगे पट्टा धन लीज धन ग्रांट ला स्वामित्व मं बदले के” के इजाजत हवय.”

फेर कैलाश ला मुआवजा देय ले मना करे जावत हे काबर के ओकर करा जरूरी ‘कागजात नइ’ ये. “हमन ला ये बखत साफ ढंग ले जानकारी नइ ये के ये जमीन अऊ घर उपर हमर हक हवय धन नइ. हमन ला बताय नइ जावत हे हमन ला मुआवजा मिलही धन नइ. वो हमन ला भगाय ला चाहत हवंय. कोनो हमर बात सुनत नइ ये.”

वीडियो देखव: ‘हमन आंदोलन बर तियार हवन’

बांध के पानी ले 14 ठन गाँव बूड़ जाहीं,दीगर आठ ठन गाँव मन ला सरकार ह मुआवजा के रूप मं वन विभाग ला सौंप देय हवय

अगला गाँव पल्कोहा मं जुगल आदिवासी अपन बात ला अकेल्ला मं बताथे. जब हमन गाँव भीतरी ले निकर जाथन त वो ह कहिथे, “पटवारी (मुखिया) कहिथे के हमर करा तोर पट्टा के कोनो रिकार्ड नइ ये.” “आधा लोगन मन ला कुछु मुआवजा मिले हवय अऊ बाकि मन ला कुछु नइ मिलिस.” वोला चिंता धरे हवय के गर वो ह अब अपन सलाना काम बर बहिर जाय ला सुरु करही, त वोला कोनो मुआवजा नइ मिलही अऊ ओकर सात झिन लइका मन के भविष्य बिपद मं पर जाही.

वो ह सुरता करथे,“जब मंय कम उमर के रहेंव, त मंय खेत मं बूता करत रहेंव अऊ हमन जंगल जावत रहेन.” फेर बीते 25 बछर मं, बघवा के ठीहा बन चुके जंगल मं जाय मं लगे रोक सेती ओकर जइसने आदिवासी मन करा रोजी-मजूरी करे बर बहिर जाय के छोड़ कोनो रद्दा बचे नइ ये.

विस्थापित होवेइय्या गाँव के माईलोगन मन अपन उचित हिस्सा लेय बर अड़े हवंय. पल्कोहा के एक झिन किसान सुन्नी बाई जेन ह (दलित) रविदास समाज ले आथे, कहिथे, “प्रधानमंत्री] मोदी हमेसा कहिथे, ‘माइलोगन सेती ये योजना... माइलोगन सेती वो योजना.’ हमन येला नइ चाहन. हमन उही चाहत हवन जेन ह हमर हक आय.”

“सिरिफ मरद लोगन मनेच ला (मुआवजा) पैकेज काबर मिलत हवय अऊ माईलोगन मन ला कुछु नइ. सरकार ह कोन अधार ले ये कानून बनाय हवय?” एक बेटा अऊ दू बेटी के ये महतारी ह पूछथे. “गर कोनो माइलोगन अऊ ओकर घरवाला मं झगरा हो जाय, त वो वो ह अपन लइका मन के अऊ खुद के गुजारा कइसने करही? कानून ला ये बात मन ला लेके सोचे ला चाही... आखिर मं वो ह घलो एक वोटर आय.”

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डेरी: छतरपुर जिला के पल्कोहा मं जुगल आदिवासी प्रदर्सनकारी मन के काम मं लाय पोस्टर दिखावत हवय. जउनि: सुन्नी बाई अपन लइका, बेटा विजय, रेशमा (करिया कुर्ता) अऊ अंजलि के संग. ओकर कहना आय के माईलोगन मन बर मुआवजा ला लेके बिचार करे नइ जावत हे

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इहां के लोगन मन पारी ला बताइन, “जल, जीवन, जंगल अऊ जानवर, जेकर मन बर हमन लड़त हवन.”

धोड़न के गुलाब बाई हमन ला अपन बड़े अकन दुवार ला दिखाथे अऊ कहिथे के घर के मुआवजा मं दुवार अऊ रंधनी खोली ला जोड़े नइ गे हे काबर के वो ह ओकर रहे के खोली के बहिर बने हवय. 60 बछर के गुलाब बाई पाछू घूंचत नइ ये. “आदिवासी (मोर जइसने) ला सासन (प्रशासन) ले कुछु नइ मिले हे. मंय इहाँ ले भोपाल (राज के रजधानी) तक लड़हूँ. मोर मं ताकत हवय.मंय उहाँ रहे हवंव. मोला डर नइ ये. मंय आन्दोलन (विरोध) सेती तियार हवं.”

केबीआरएलपी के खिलाफ विरोध प्रदर्सन साल 2017 मं गाँव के बइठका होया के संग छोटे तरीका ले सुरू होइस. जोर धरिस अऊ 31 जनवरी, 2021 मं छतरपुर जिला कलेक्टर आफिस मं  एलएआरआरए ला टोरे के खिलाफ विरोध प्रदर्सन करे बर 300 ले जियादा लोगन मं जुरिन. गणतंत्र दिवस 2023 मं, तीन जलसत्याग्रह (पानी ले जुरे वजा सेती विरोध-प्रदर्सन) मन ले पहिली मं पीटीआर के 14 गांव के हजारों लोगन मन अपन संवैधानिक हक ला लांघे के खिलाफ आवाज उठाईन.

इहाँ के लोगन मन के कहना आय के वो मन के गुस्सा प्रधानमंत्री तक हबर गे हवय, जऊन ह बीते बछर बांध के उद्घाटन करे बर धोड़न नइ आय के फइसला करिस, फेर ये रिपोर्टर ह निजी रूप ले येकर पुष्टि नइ करे सकिस.

परियोजना ले जुड़े विवाद अऊ दुरभावना सेती अगस्त 2023 मं सुरु होवेइय्या टेंडर के काम उपर असर परिस. वो मन ला कोनो काम बरे नइ मिलिस. येकरे सेती, येकर तारीख ला छै महिना आगू कर देय गीस.

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धोड़न गाँव के गुलाब बाई ह कहिथे के वो ह उचित मुआवजा बर लड़े बर तियार हवय

सरकारी काम के पाछू छिपे झूठ अऊ मंसूबा साफ नइ होय सेती, जऊन घलो गाँव मं पारी गीस, उहाँ कोनो ला पता नइ रहिस के वो मन कब अऊ कहाँ जाहीं, धन घर, जमीन, मवेसी अऊ रूख मन बर मुआवजा के सही रकम/भाव काय होही, अऊ कब देय जाही

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इकोलाजिस्ट केलकर कहिथे, “मध्य भारत मं बदलत मऊसम के बारे मं बनेच अकन लोगन मन बात नइ करंय, फेर इहींचे हमन भारी बरसात के संगे संग अकाल परे मं घलो बढ़त देखत हवन, जेन ह बदलत मऊसम के असर के आरो आय. बदलत मऊसम सेती मध्य भारत के अधिकतर नदिया मं भारी पुर आय ला देखे जावत हे, फेर ये ह जियादा दिन तक ले नइ रइही. येकर धार ये बखत जियादा पानी के बात ला बढ़ावा दे सकथे, फेर बदलत मऊसम के अंदाजा के मुताबिक, ये ह साफ आय के ह थोर दिन के होही.”

वो ह चेताइस के गर नदिया मन ला जोड़े बर ये थोर बखत के बदलाव मन ला देख के काम करे गीस त भविष्य मं ये इलाका ला अऊ घलो जियादा अकाल ले जूझे ला पर सकथे.

ठक्कर ह ये घलो चेताइस हवय के प्राकृतिक जंगल के बड़े इलाका के बिनास के जल विज्ञान संबंधी असर एक ठन बड़े गलती आय.  “सुप्रीम कोर्ट के केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति के रिपोर्ट मं येकर उपर बात करे गे हवय, फेर सुप्रीम कोर्ट ह घलो ये रिपोर्ट उपर बिचार तक नइ करे हवय.”

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई डहर ले साल 2023 मं नेचर कम्युनिकेशन मं नदी जोड़ो ला लेके छपे एक ठन शोधपत्र घलो चेताथे: “लाय पानी ले अपासी मं तेजी ले भारत मं पहिलीच ले कम पानी ले जूझत इलाका मन मं सितंबर मं औसत बरसात मं 12 फीसदी कमी आ सकथे.. सितंबर मं कम पानी गिरे सेती नदिया मन सूखा सकथें, जेकर ले देस भर मं पानी के कमी बढ़ सकथे अऊ ये जोड़े के काम ह बेकाम हो सकथे.”

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डेरी: घाम के बखत केन अक्सर सूखा जाथे. जउनि: साल 2024 के बरसात के बाद टाइगर रिजर्व के तीर केन. बरसात के बाद  अइसने धार उपराहा पानी के आरो नइ देवय

हिमांशु ठक्कर कहिथे के राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए), जेकर अगुवई मं ये परियोजना बने हवय, डहर ले जेन घलो आंकड़ा काम मं लाय गे हवय, वोला देश के सुरच्छा के चिंता के हवाला देवत वैज्ञानिक मन सार्वजनिक नइ करत हवंय.

साल 2015 मं, जब बांध बनाय के संभावना बने ला लगिस, तब ठक्कर अऊ एसएएनडीआरपी के दीगर लोगन मन पर्यावरन मूल्यांकन समिति (इएसी) ला कतको चिठ्ठी लिखे रहिन. चिठ्ठी मन ले एक ठन के नांव रहिस ‘केन बेतवा पर्यावरन आकलन रिपोर्ट मं खामी अऊ सार्वजनिक सुनवाई मं उल्लंघन’, ये मं कहे गे रहिस, “परियोजना के पर्यावरन आकलन रिपोर्ट बुनियादी रूप ले दोस ले भरे अऊ अधूरा हवय अऊ येकर सार्वजनिक सुनवाई मं कतको उल्लंघन करे गे हवय. अइसने किसम के अधूरा अध्ययन के संग परियोजना ला कोनो घलो मंजूरी न सिरिफ गलत होही, फेर कानूनी रूप ले घलो माने नइ जाय.”

येकर बीच 15-20 लाख ले जियादा रुख पहिलीच ले कटे जा चुके हवंय. बेदखली के खतरा मंडरावत हवय, फेर मुआवजा के कोनो साफ अंदाजा नइ ये. खेती-बारी बंद परे हे. रोजी मजूरी बर पलायन करेइय्या मन ला मुआवजा के नांव मं कोनो घलो मदद नइ मिले के खतरा हवय.

सुन्नी बाई ह दू ठन बात मं सब्बो कुछू कहि दीस: हमन सब्बो कुछु गंवावत हवन. वो मन सब्बो कुछु छीन लेवत हवंय. वो मन ला हमर मदद करे ला चाही. ये छोड़ वो मन कहिथे ‘ये पैकेज आय, फारम मं दसखत करव, अपन पइसा धरव अऊ चले जाव’.”

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Priti David

Priti David is the Executive Editor of PARI. She writes on forests, Adivasis and livelihoods. Priti also leads the Education section of PARI and works with schools and colleges to bring rural issues into the classroom and curriculum.

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P. Sainath is Founder Editor, People's Archive of Rural India. He has been a rural reporter for decades and is the author of 'Everybody Loves a Good Drought' and 'The Last Heroes: Foot Soldiers of Indian Freedom'.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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