“एह किसे होर नू जिता रहे ने, साडे अग्गे कोई होर कुड़ी नहीं सी (उ लोग केहू अउरी के जितावता, हमनी ले आगे कवनो लईकी नईखी सन)”. एथलीट जसपाल, रामदीप आ मित्र लोग मिल के एक आवाज में अपनी कोच से शिकायत कर रहल बाड़ें. अमृतसर जिला के दर्जन भर युवा धावक लोग चंडीगढ़ मैराथन में हिस्सा लेवे खातिर 200 किलोमीटर के यात्रा कईले बा आ ओ लोगन के उत्तेजना साफ़ लउकता.

ई कुल तब होता जब पांच किलोमीटर दौड़ में दूसरा पुरस्कार विजेता के रूप में जसपाल कौर के नाम के मंच से घोषणा कईल जाता. उ लोग जानता कि जसपाल उपविजेता नाहीं विजेता बाड़ी काहें कि उ फिनिशिंग लाइन के तरफ सबसे आगे लहली. बाकिर विजेता खातिर 5000 रुपिया के नकद पुरस्कार केहू अउरी के नाम पर घोषित कईल गईल बा.

जसपाल मंच पर गईला आ दूसरा पुरस्कार स्वीकार कईला से मना कर देत बाड़ी, एकरी जगह उ आ उनकर कोच मंच पर आ मंच से पीछे एक व्यक्ति से दूसरी व्यक्ति ले जाता आ आपन कहानी आ अपनी संघे भईल अन्याय बता के आयोजकन के फैसला पर सवाल उठावता आ मदद मांगता. अंत में अपनी कोच के निवेदन पर जसपाल दूसरा पुरस्कार एगो बड़का फोम बोर्ड चेक स्वीकार करतारी जेपर 3,100 रुपिया लिखल बा.

एक महीना बाद अप्रैल 2023 में जसपाल के हैरानी भईल जब उनकरी खाता में 5,000 रुपिया जमा कईल गईल. जसपाल से कुछ बात ना कईल गईल ना स्थानीय अख़बारन में कवनो खबर आईल. रनीजेन टाइमिंग सिस्टम के परिणाम वेबसाइट पर उनकर नाम 23.07 मिनट के गनटाइम (रेस टाइम) संघे 5 किलोमीटर के दौड़ खातिर लीडरबोर्ड पर विजेता के रूप में लिखल बा. उ साल के पुरस्कार वितरण तस्वीरन में नईखी बाकिर जसपाल बहुत से मेडल संघे उ बड़का चेक अब्बो अपने लग्गे राखेली.

लईकियन संघे अगिला मैराथन में जात ए पत्रकार के 2024 में आयोजक लोगन से पता लागल ह कि उ लोग ओ बरिस विडिओ फुटेज के जांच के बाद जसपाल के प्रतिद्वंदी के अयोग्य घोषित कर दिहले रहे. ओ लोगन के बुझाईल कि विरोध करे वाला लड़की सब सही रहली सन. रेस बिब के संघे कुछ धोखा भईल रहे. एसे जसपाल के लगे आवे वाला नकद पुरस्कार राशि के रहस्य खुल गईल.

जसपाल खातिर नकद पुरस्कार के बहुत महत्व बा. अगर उ पर्याप्त पईसा बचा लिहली त फिर से कॉलेज जा सकेली. दू साल पहिले जसपाल एगो निजी विश्वविद्यालय में ऑनलाइन बीए (कला) में प्रवेश लिहले रहली. “बाकिर हम पहिला सेमेस्टर से आगे न बढ़ पवनी,” उ कहेली. “परीक्षा में बईठे खातिर हमके हर समेस्टर में लगभग 15,000 रुपया के भुगतान करे के पड़ेला. पहिला समेस्टर में हम पुरस्कार के नकद भुगतान (विजेता के ग्राम प्रतिनिधि आ स्कूल की तरफ से दिहल जाए वाला) के पईसा के उपयोग फीस दिहला में कईनी. बाकिर ओकरी बाद हम दूसर समेस्टर ना पूरा कर पवनी काहें कि हमरी लगे पईसा ना रहे.”

जसपाल अपनी परिवार में कॉलेज जाए वाली पहिला पीढ़ी हई आ 22 बरिस के जसपाल अपनी गांव में मजहबी सिख समुदाय के कुछ चुनिन्दा महिला में से हई जिनके पंजाब में सबसे वंचित अनुसूचित जाति समुदाय के रूप में वर्गीकृत कईल गईल बा. जसपाल के माता जी बलजिंदर कौर (47) कक्षा 5 ले पढ़ले हई जबकि उनकर पिता बलकार सिंह (50) कब्बो स्कूले ना गईलन. उनकर बड़ भाई अमृतपाल सिंह (24) कक्षा 12 के बाद स्कूल छोड़ के अपनी गांव कोहाली के आसपास के निर्माण कामन में अपनी पिता के मदद करे लगलन. उनकर छोट भाई आकाशदीप सिंह कक्षा 12 ले पढ़ल हउवें.

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जसपाल (बाएं) आपन पुरस्कार एगो मेटल के आलमारी में सुरक्षित राखेली. अपनी परिवार संघे (दायें)

परिवार में अब उनकर बड़ भाई के पत्नी आ बच्चा भी शामिल बा, आ परिवार के आमदनी ई दू पुरुषन के मिले वाला काम पर निर्भर बा जवन अक्सर अनिश्चित रहेला. जब उनकरी लगे काम रहेला त मामला कुछ ठीक चलेला आ उ लोग महीना के 9,000 से 10,000 रुपिया ले कमा लेवेला.

जसपाल के मिले वाला पुरस्कार राशि में उनकरी कुछ खर्चा जईसे प्रवेश शुल्क, प्रतियोगिता खातिर यात्रा खर्च आया आपन पढ़ाई वगैरह के इंतजाम हो जाला. “दौड़ खातिर पंजीकरण करववला पर हमनी के टी-शर्ट मिलेला बाकिर शार्ट, ट्रैकसूट आ जूता खातिर हमनी के अपनी माता पिता से पईसा मांगे के पड़ेला,” मैदान पर खेल के अभ्यास करे जाए खातिर आपन खेल वाला कपड़ा पहिनत के जसपाल कहेली.

हमनी के चारू ओर युवा एथलीट लोग बाड़ें, केहू वार्मअप करता, कुछ लोग मैदान के चक्कर लगावता आ कुछ लोग रोजमर्रा के प्रशिक्षण खातिर अपनी कोच राजिंदर सिंह के आसपास इकठ्ठा होखता. इ सब जाने अलग-अलग गांव से बाड़ें. जसपाल 400 आ 800 मीटर संघे 5 किलोमीटर वाला के स्पर्धा में हिस्सा लेवेली आ पिछला सात साल में बहुत पुरस्कार आ मेडल जीतले बाड़ी. अपनी गांव में जसपाल बहुत लोगन खातिर प्रेरणा के स्रोत बन गईल बाड़ी. उनकर पदक, प्रमाणपत्र आ नकद इनाम बहुत से गरीब परिवार के बच्चन के प्रशिक्षण दियावे खातिर प्रोत्साहित कईले बा.

बाकिर अब ले जसपाल जेतना भी जीतल बाड़ी, परिवार के मदद करे खातिर उ पर्याप्त नईखे. फरवरी 2024 से जसपाल अमृतसर के नजदीक एगो गौशाला में अकाउंट के काम देखल शुरू कईले बाड़ी जहां उनके 8000 रुपिया महीना मिलेला. “हम अपनी परिवार के आमदनी में हाथ बंटावे खातिर ई काम शुरू कईनी. बाकिर अब हमके पढ़े के समय नईखे मिल पावत,” उ कहेली.

उ जानेली कि घर के जिम्मेदारी के वजह से नया नौकरी से मिले वाला पईसा भी उनकी समेस्टर के फीस से कम बा.

मार्च 2024 में उ चंडीगढ़ में फिर एक बेर 10 किलोमीटर के दौड़ में दौड़े के फैसला कईली.  ए बेरी उ दूसरा स्थान पर अईली आ 11,000 रुपिया के नकद पुरस्कार जीतली.

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उ निश्चित रूप से 70 एथलीटन के समूह के स्टार हई जिनके हरसे छीना गांव में राजिंदर सिंह छीना निशुल्क प्रशिक्षण देत बाड़ें. इहां के खुद 1500 मीटर इवेंट में अंतर्राष्ट्रीय एथलीट रहें आ पिछला करीब एक दशक से हाशिया के समुदायन के लईका लईकियन के प्रशिक्षित कर रहल बाड़ें.

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जसपाल (बाएं) आ मनप्रीत (दायें) अमृतसर , पंजाब के हरसे छीना गांव के प्रशिक्षण मैदान में

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एथलीटन के अपनी टीम संघे कोच राजिंदर सिंह छीना (बाएं). आयुर्वेदिक दवाई के अपनी दोकान पर कोच जहां उ दिन में कुछ घंटन खातिर मरीजन के देखेलन

ग्रामीण पंजाब में युवा लोगन के बीच व्यापक नशीली दवाईयन के दुरूपयोग के ले के चंडीगढ़ के एगो अधिकारी के ताना के वजह से ई एथलीट 2003 में छोट बच्चन के प्रशिक्षण देवे खातिर प्रेरित भईलें. “हम ए मैदान में पहिले छोट बच्चन के ले अईनी,” उ अमृतसर के हरसे छीना गांव में कामरेड अच्छर सिंह छीना गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्मार्ट स्कूल के खेल के मैदान देखावत कहेलन. “अइसन बच्चा जवन स्कूल ना जाएं सन – मजदूरन आ हाशिया वाला लोगन के बच्चा. हम उन्हनी के स्कूल में एडमिशन करवनी, उन्हनी के प्रशिक्षण देवे शुरू कईनी आ धीरे धीरे ई बढ़े लागल.”

सरकारी स्कूलन में अब हाशिया के लोगन के बहुत बच्चा बाड़ें सन. उ कुल मेहनती आ बरियार बाड़ें सन. हम ई सोच के टीम बनावे शुरू कईनी कि उन्हनी के कम से कम राज्य स्तर तक जाहीं के चाहीं. हमके गुरुद्वारा में सेवा करे के समय ना मिलेला. हमार मानल ह कि अगर केहू बच्चन के शिक्षा में मदद कर पावे त ओके करे के चाहीं, राजिंदर कहेलन.

“हमरी लगे कम से कम 70 एथलीट बाड़ें जिनके हम कोचिंग देवेनी. हमार कुछ एथलीट बहुत बढ़िया प्रदर्शन कईले बाड़ें सन आ बढ़िया नोकरी पवले बाड़ें सन. कुछ एमे से प्रो कबड्डी लीग में बाड़ें सन,” छीना गर्व से कहेलन. “हमनी के केहू से मदद ना मिलेला. लोग आवेला, बच्चन के सम्मान करेला, मदद के वादा करेला बाकिर कुछ ना करेला. हमनी के अपने से जवन कर सकेनी जा उ करतानी जा,” उ कहेलन.

उनकरी लगे बीएएमएस के डिग्री बा आ उ अमृतसर में राम तीरथ में आपन क्लिनिक चलावेलन. उनकर कहनाम बा कि एसे होखे वाला आमदनी उनकर घर आ मैदान के खर्चा चलावे खातिर काफी बा. “हम महीना में कुछ 7000-8000 रुपिया ले खर्चा करेनी जेमे हर्डल, वेट, मैदान में निशान लगावे खातिर चूना वगैरह आवेला.” उनकर तीन बच्चा बाड़ें जवन बड़ हो गईल बाड़ें सन आ समय समय पर आपन योगदान देत रहेलन सन.

“हम चाहेनी कि कवनो बच्चा ड्रग्स ना लेवे. हम चाहेनी कि उ मैदान पर आवे आ ताकि कुछ बन सके.”

कोच राजिंदर सिंह आ पंजाब के युवा महिला एथलीटन के उनकर टीम अपनी यात्रा के विषय में बातचीत कईलस

वीडियो देखीं ‘ग्रामीण पंजाब में महिला एथलीटन के संघर्ष’

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युवा जसपाल खातिर मैदान पर पहुंचल कठिन काम हवे काहें कि उनकर गांव कोहाली मैदान से लगभग 10 किलोमीटर दूर बा. “दूरी से हमके दिक्कत होखेला. गांव मैदान से काफी दूर बा,” जसपाल गांव के बाहरी इलाका में इंट से बनल अपनी दू कमरा के घर के सामने बईठल कहेली. “हर दिन हमके 45 मिनट चल के मैदान ले जाए के होला,” जसपाल बतावेली. “हर दिन हम सबेरे 3.30 पर जाग जानी. मैदान पर सबेरे 4.30 ले पहुंच जानी. हमार माता पिता लोग हमके सावधान रहे के कहेला बाकिर हमरा आज ले कब्बो असुरक्षित ना बुझाईल. बगले में एगो अखाड़ा बा जहां लईका कुल पहलवानी के अभ्यास करेला. ओ लोगन के वजह से सड़क कब्बो खाली ना होखेला. हमनी के दू घंटा ले अभ्यास करेनी जा आ 7.30 बजे ले हम घरे जानी,” उ कहेली.

दू साल पहिले उ अपनी पिता के सेकंड हैण्ड बाइक चलावे सिखली. तब से उ कबो कबो मैदान पर बाइक से आवेली जेमें मुश्किल से 10 मिनट लागेला. बाकिर अइसन बढ़िया दिन पर जसपाल के ट्रेनिंग बीचे में छोड़ के घरे लौटे के पड़ेला काहें कि घर के आदमी लोगन के बाइक के काम रहेला. अइसहीं उनकर कुछ ट्रेनिंग सेशन छूट गईल बा.

“अब्बो कुछ गांव अइसन बा जहाँ कवनो सरकारी या निजी बस सेवा नईखे,” कोच बतावेलन. “युवा एथलीट लोगन के मैदान तक पहुंचे में संघर्ष करे के पड़ेला आ ओमे से बहुत लोग एकरी वजह से अपनी शिक्षा खातिर भी संघर्ष करेला.” आसपास कवनो कॉलेज ना होखला के वजह से ए गांवन के बहुत से लईकी लोग कक्षा 12 के बाद पढ़ाई छोड़ देली. जसपाल के निकटतम बस स्टेशन गांव के दूसरी साइड पर बाटे. आ मैदान पर पहुंचे खातिर जब जरूरत होखे तब बस के मिलल एगो अउरी समस्या बा, उ बतावेली.

ओही गांव के एगो अउरी युवा एथलीट रमनदीप कौर भी प्रशिक्षण में हिस्सा लेवे खातिर दिन में दू बेर में दस किलोमीटर चल के आवेली. “कब्बो कब्बो हम पांच किलोमीटर चलेनी आ फिर चैनपुर गांव के एगो लईकी कोमलप्रीत संघे स्कूटी (बिना गियर के बाइक) पर मैदान पहुंचेली. प्रशिक्षण के बाद हम फिर से पांच किलोमीटर वापस आवेनी,” उ बतावेली.

“डर तां लगदा इकल्ले आउंदे-जांदे, पर किसे कोल टाइम नहीं नाल जान आउन लई (अकेले एने ओने आवे जाये में डर त लागेला खासकर अन्हार में, बाकिर हमरी संघे रोज आवे जाए के परिवार में केहू के लगे समय नईखे),” रमनदीप कहेली. प्रशिक्षण आ फिर रोज के 20 किलोमीटर चलला से उनकरी ऊपर असर पड़ रहल बा. “हमके हर समय थकान बुझात रहेला,” उ कहेली.

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बाएं: जसपाल दू साल पहिले मोटरसाइकिल चलावे सिखली आ कबो कबो प्रशिक्षण में एसे आवेली. दायें: रमनदीप कौर (क्रिया टी-शर्ट में) अपनी माई बहिनिन के संघे, साथ में एतना बरिस में जीतल गईल कुल ट्राफी

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रमनदीप पुरस्कार के पईसा से अपनी खातिर रनिंग शूज कीनले बाड़ी

उनकर काम खाली दौड़ला के अभ्यास ले नईखे, 21 बरिस के रमनदीप के घर में भी हाथ बंटावे के पड़ेला आ परिवार के लगे एगो गाय भैंस बा जेकर देखभाल करे के पड़ेला. घर के ठीक सामने ईंट से बनल 3-4 फीट के चौड़ा सड़क के आगे एगो छोट सा जगह बा जहां उ लोग आपन जानवरन के राखेला.

रमनदीप भी मजहबी सिख समुदाय से हई. दस सदस्यन के उनकर परिवार दू भाईयन के आमदनी पर निर्भर बा जे मजदूरी के काम करेला. “बड़ पैमाना पर उ लोग बढ़ईगिरी के काम करेला आ एकरी संघे जवन काम जेतना बेर मिल जाओ. जब ओ लोगन के काम मिलेला त दूनो जानी एक दिन के साढ़े तीन तीन सौ रुपिया कमा लेवेला,” उ बतावेली.

अपनी पिता के 2022 में मुअला के बाद उ कक्षा 12 पूरा कर के पढ़ाई छोड़ दिहली. “हमनी के खर्च ना उठा पवनी जा,” गांव के अंतिम छोर पर स्थित अपनी दू कमरा के घर में टूटल दीवार के लगे बईठल उ अफसोस से कहेली. “हमार माई हमरा खातिर स्पोर्ट्स वाला कपड़ा किनेली, उनके 1500 रुपिया विधवा पेंशन मिलेला,” रमनदीप कहेली.

“कैश प्राइज जित्त के शूज लाये सी 3100 दे, हुन टुट गए, फेर कोई रेस जित्तुंगी ते शूज लौंगी (एगो रेस में 3100 के कैश प्राइज जितले रहनी त ई जूता कीनले रहनी, अब ई फाट गईल बा, फिर रेस जितब त जूता कीनब),” अभी ले इस्तेमाल में आवत आपन फाटल जूता देखा के उ कहेली. जूता होखे चाहे ना होखे, उ जहाँ बाड़ी ओइजा से बेहतर जगह पर पहुंचे खातिर दौड़ रहल बाड़ी.

“हम पुलिस फ़ोर्स में नोकरी पावे खातिर दौड़ेनी,” रमनदीप कहेली.

इहे लक्ष्य चैनपुर के कोमलप्रीत कौर (15), कोहाली के गुरकिरपाल सिंह (15), राणेवाली गांव के मनप्रीत कौर (20) आ सैंसरा कलां के ममता (20) के भी बाटे. ई सब लोग कोच छीना से प्रशिक्षण लेवे खातिर आवेला. युवा एथलीट लोगन में से सबकरी खातिर सरकारी नोकरी के मतलब सामाजिक स्थिति बदले के अलावा पूरा परिवार खातिर आर्थिक सुरक्षा बाटे. बाकिर ए नोकरियन के प्रवेश परीक्षा एगो और बाधा दौड़ बा.

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मैदान पर प्रशिक्षण सेशन के दौरन कोमलप्रीत आ मनप्रीत

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बाएं: युवा एथलीट गुरकिरपाल सिंह आपन जीतल इनाम देखावत बाड़ी. दायें: युवा एथलीट लोगन के प्रशिक्षण देत कोच छीना एक्शन में

खिलाड़ियन खातिर विशेष तीन प्रतिशत कोटा योजना के तहत राज्य आ राष्ट्रीय स्तर पर चैम्पियनशिप जीते के जरूरत होखेला जेकरा खातिर अलग अलग तरह के संशाधनन के जरूरत पड़ेला. एकर अभाव होखला के वजह से लईकी लोग कड़ा मेहनत करेला आ राज्य में अलग अलग मैराथन में इ लोग दौड़ लगावेला. जवन इनाम आ मेडल इ लोग जीतता उ पुलिस बल में नोकरी खातिर शारीरिक फिटनेस प्रशिक्षण में उनकर मदद करी.

ए नोकरियन में मजहबी सिख खातिर आरक्षण भी बाटे. राज्य भर्ती अभियान, 2024 में उम्मीदवारन खातिर पंजाब पुलिस में कांस्टेबल खातिर विज्ञापित कुल 1746 रिक्तियन में 180 ए अनुसूचित जाति खातिर अरक्षित बा. आ 180 में से 72 एही समुदाय के महिला लोगन खातिर अरक्षित बा.

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 जवन अपनी प्रमुख न्याय वितरण तंत्र अर्थात पुलिस, न्यायपालिका, जेल आ कानूनी सहायता खातिर क्षमता निर्माण में प्रत्येक राज्य के प्रगति के आकलन आ रैंकिंग करेले, से पता चलता कि पंजाब 2019 से 2022 के बीच चौथा से 12वां स्थान पर आठ रैंक गिर गईल बा. रिपोर्ट में कहल गईल बा, “जाति होखे या लिंग, हर जगह समावेशन में कमी भईल बा आ सुधार के गति बहुत धीमा बा. दशकन के गर्मागर्म बहस के बावजूद कवनो राज्य कुल उप-प्रणालियन में सब तीन कोटा के ना पूरा करेला जबकि अलग अलग राज्य एक या दूसरा श्रेणी के पूरा कर सकेलन सन. ना ही कहीं महिला लोगन के समानता मिलत बा. पुलिस में महिलाकर्मियन के हिस्सेदारी के 3.3 प्रतिशत से 11.8 प्रतिशत ले जाए में जनवरी 2007 से जनवरी 2022 ले पन्द्रह साल लाग गईल. पंजाब में 2022 में महिला लोगन खातिर उ संख्या 9.9 प्रतिशत रहे.

जसपाल आ रमनदीप दूनो पिछली साल से पंजाब पुलिस कांस्टेबल पद खातिर आवेदन करत बाड़ी जा. दुनो जानी 2023 में पंजाबी में लिखित परीक्षा दिहले रहे बाकिर पास ना कर पावल लोग. “लिखित परीक्षा के तैयारी हम घरे कईले रहनी,” रमनदीप कहेली.

भर्ती अभियान खातिर 2024 के विज्ञापन में तीन चरण के चयन प्रक्रिया में पहली बेर कम्प्यूटर आधारित परीक्षा के उल्लेख कईल गईल बा. अनुसूचित जाति आ पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारन के लगे शारीरिक स्क्रीनिंग टेस्ट आ शारीरिक माप परीक्षा के दूसरा दौर खातिर अर्हता प्राप्त करे खातिर न्यूनतम आवश्यक 35 प्रतिशत अंक होखे के चाहीं. शारीरिक प्रशिक्षण में दौड़, लम्बी कूद, ऊँची कूद, वजन आ ऊंचाई शामिल बाटे.

PHOTO • Courtesy: NMIMS, Chandigarh
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रमनदीप (बाएं) आ जसपाल (दायें) एनएमआईएमएस, चंडीगढ़ द्वारा आयोजित मैराथन में

रमनदीप के माता जी अपनी बेटी के प्रदर्शन के लेके चिन्तित बाड़ी काहें कि उनकर कहनाम बा कि बेटी ढेर खाले ना. उ पोषण पर एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के के गाइडबुक के बारे में बहुत कम जानेली जवन युवा एथलीटन के पोषण आ उर्जा के जरूरत के पूरा करे के खातिर सब्जी, फल, सेम, फली, अनाज, मांस, मछरी आ डेयरी खाद्य पदार्थन के विविध आहार के सिफारिश करेला. मांस महीना में एक बेर आवेला. “डाईट नहीं मिलदी, बस रोट्टी जा जो वी घरे मिल जांदा (हमनी के सही आहार ना मिलेला, रोटी मिलेला चाहे जवन घरे बनल होखे),” रमनदीप कहेली. “घरे जवन पकेला ओकरी संघे हमनी के भिगावल चना खायेनी ना,” जसपाल कहेली.

ए बरिस विज्ञापन में बतावल कम्प्यूटर आधारित परीक्षा के बारे में लड़कियन में से केहू के जानकारी नईखे. जसपाल आपन पिछला अनुभव के याद करत बतावेली, “पिछला बेर पंजाबी में लिखित परीक्षा भईल रहे, कम्प्यूटर आधारित ना रहे. “हमनी के कम्प्यूटर ले पहुंच नईखे. पिछली बेर लिखित परीक्षा पास करे खातिर जसपाल दू महिना कोचिंग पर 3,000 रुपिया खर्च कईले रहली.

ए साल के सर्कुलर के अनुसार पहिला राउंड में पंजाबी भाषा के क्वालिफायिंग पेपर के अलावा भी एक पेपर शामिल होखी. एमे उम्मीदवारन के सामान्य जागरूकता, मात्रात्मक योग्यता आ संख्यात्मक कौशल, मानसिक क्षमता आ तर्कशक्ति, अंग्रेजी भाषा कौशल, पंजाबी भाषा कौशल आ डिजिटल साक्षरता आ जागरूकता के परीक्षण होखी.

“फिजिकल टेस्ट रिटेन टेस्ट क्लियर हों तो बाद लायींदे ने, रिटेन टेस्ट ही क्लियर नहीं सी होया इस करके फिजिकल टेस्ट तक पोंहचे ही नहीं (लिखित परीक्षा पास कईला के बाद फिजिकल टेस्ट होखेला, अगर लिखित ही उत्तीर्ण ना होखी त फिजिकल के सवाले कहाँ उठता)?” जसपाल कहेली.

“हमरी लगे पिछली साल के किताब बाड़ी सन. एहू साल हम आवेदन (पुलिस बल में रिक्ति खातिर) कईले बानी,” रमनदीप कहेली. “देखल जाओ,” उ कहतारी. उनका आवाज में शंका आ उम्मीद बराबर मात्रा में बाटे.

अनुवाद: विमल चन्द्र पाण्डेय

Arshdeep Arshi

Arshdeep Arshi is an independent journalist and translator based in Chandigarh and has worked with News18 Punjab and Hindustan Times. She has an M Phil in English literature from Punjabi University, Patiala.

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Editor : Pratishtha Pandya

Pratishtha Pandya is a Senior Editor at PARI where she leads PARI's creative writing section. She is also a member of the PARIBhasha team and translates and edits stories in Gujarati. Pratishtha is a published poet working in Gujarati and English.

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Translator : Vimal Chandra Pandey

Vimal Chandra is a journalist, film maker, writer and translator based in Mumbai. An activist associated with the Right to Information Movement, Vimal is a regular contributor of a Bhojpuri column ‘Mati ki Paati’ in the Hindi daily, Navbharat Times, Mumbai.

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